पहाड़ में भी भूमाफिया की धमक, सैकड़ों हरे पेड़ों को काटा

मैदानी क्षेत्रों के बाद अब भू माफिया पर्वतीय क्षेत्रों में सक्रिय हो गए हैं और विकास के नाम पर वह सरकारी बंजर पर गिद्ध दृष्टि गढ़ाए हुए हैं, और विकास के नाम पर कब्जा जमाने के फिराक में हैं। ऐसा ही एक मामला चौबट्टाखाल विस के अंतर्गत ब्लॉक एकेश्वर के ग्राम गोर्ली में  सामने आया है। जहां भूमाफिया ने सोलर प्लांट के नाम पर  झाड़ियां बताकर भूमि पर कब्जा करने की नीयत से ग्रामीणों के जमीन पर खड़े सैंकड़ों हरे पेड़ों को काट दिया। ग्रामीणों को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने  मामले की जानकारी स्थानीय प्रशासन  को दी। जानकारी मिलने पर वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची और ग्रामीणों से वार्ता की। ग्रामीणों ने कहा की  यहां सोलर प्लांट का काम चल रहा है।  कम्पनी ने परियोजना के लिए ग्रामीणों से जमीन की खरीद फरोख्त की है। खरीदी हुई जमीन की आड़ में कम्पनी ने ग्रामसभा गोर्ली की जमीन पर धीरे, धीरे कब्जा शुरू कर दिया और जंगल में लगे विभिन्न प्रजातियों के सैंकड़ों हरे भरे पेड़ों पर कुल्हाडी चला दी। ग्रामीणों को जब इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने मामले की जानकारी सरकारी कारिंदों को दी लेकिन, कोई कारवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने कहा की सब सह पर हो रहा है।  उन्होंने कहा कि काश्तकारों की तीन सौ नाली और दो सौ नाली के लगभग सरकारी भूमि पर खड़े सैकड़ों हरे पेड़ों को  झाड़ियो के नाम पर बिना अनुमति के काट दिया गया है। ग्रामीणों ने कहा कि जबकी खेत मे खड़े पेड़ को काटने के लिए भी अनुमति लेनी पड़ती है। उन्होंने कहा की  विकास जरूरी है लेकिन तरीके से होना चाहिए। पेड़ों के कटान से पर्यावण असन्तुलित होने का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों के अनुसार सरकारी कारिंदों की सह पर ही सरकारी और गैर सरकारी जमीन पर खड़े पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि बिना परमिशन के सैकड़ों हरे पेड़ों का कटान हैं अगर ग्रामीण इसका विरोध करते हैं तो उच्च अधिकारियों के मातहत काम करने वाले कर्मचारी इन पेड़ों को झाड़ियां बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते वह भी झाड़ी कटान के नाम पर ऐसा ही मामला एक प्रकाश में आया है।
बंजर खेतोंं पर भूमि पर वनीकरण के नाम पर कई सौ पेड लगाए गए थे। जिन पौधों को बढ़ने में कम से कम 10 से 12 साल लग गए उन पेड़ों को भू माफियाओं ने एक झटके में कुल्हाड़ी चलाकर किसकी अनुमति दकर नेस्तनाबूद कर दिया। इसी मामले को लेकर गोरली गांव की महिलाओं और युवाओं और बुजुर्गों ने जब जब पता चला। कि बिना सहमति के इन हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी क्यों चलाई गई। उन्होंने इन हरे पेड़ों बेदर्दी से काटने के मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन किया वहीं गोरली गांव की महिलाओं का कहना था इस जमीन पर हम कई सालों से अपने चारागाह के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे जिससे हमें रोजगार अपने गायों और पशुओं के लिए चारा मिलता था आज भू माफियाओं ने उन हरे पेड़ों पर आरी और कुल्हाड़ी चलाकर नेस्तनाबूद कर दिया है जब इसका संज्ञान उच्च अधिकार तक पहुंचाया गया तो उनका कहना था कि इसकी हमको शिकायत मिली ही नहीं इसलिए हमने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया अब सवाल यह होता है कि शिकायत मिलने के बाद ही क्या उच्च अधिकारी कार्यवाही करेंगे़। वहीं ग्रामीण महिलाओं का कहना था कि अगर हमारी मांगों को नहीं माना गया तो हम उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे और अपने वनों को बचाने के लिए लड़ेंगे।

वहीं सूत्रों की माने तो इस करोड़ो के प्रोजेक्ट में एक पीसीएस ओर एक अपर अभियंता का बड़ा हाथ माना जा रहा है।

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